कालिदास की जीवन कथा, kalidas ki jivani, What was Kalidasa famous for?, What was the original name of Kalidasa?, Why Kalidas is known as the Shakespeare of India? Who is Kalidas why he remembered today?

कालिदास की जीवन कथा,What was Kalidasa famous for

कालिदास का जीवन परिचय
kalidas-ki-jivni

Who is Kalidas why he remembered today?

कालीदास उज्जैन के विख्यात राजा  विक्रमादित्य के समकालीन थे और उनके राजदरबार में कभी के पद पर नियुक्त थे महाकवि कालिदास को महाराज विक्रमादित्य के नौ रत्नों में से एक थे और चौथी सदी इस्वी के मत के अनुसार कालिदास भारत का स्वर्ण युग कहे जाने वाले गुप्तकाल में गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय और उनके उत्तराधिकारी कुमारगुप्त के समकालीन थे।

What was the original name of Kalidasa

दोस्तो, कालीदास प्राचीन भारत में संस्कृत भाषा के उच्च कोटि के कवि और नाटककार थे  आधुनिक विद्वानों ने तो उन्हें राष्ट्रीय कवि तक का स्थान दिया है। दोस्तों महाकवि कालीदास के नाम का शाब्दिक अर्थ है काली का सेवक और  काली माँ के अनन्य भक्त भी थे दोस्तों वर्तमान समय में लगभग चालीस ऐसी  रचनाएं हैं जिन्हें कालिदास के नाम से जोडा जाता है लेकिन दोस्तो, इनमें से केवल सात ही निर्विवाद रूप से महाकवि कालिदास द्वारा रचित  मानी जाती है। इन सात में से तीन नाटक, दो महाकाव्य और दो खंडकाव्य हैं। तो नमस्कार दोस्तों आप सभी का इस वेबसाईट पर स्वागत है आज इस post में हम बात करने वाले है कालिदास के बारे में तो आज हम कालिदास के बारे में बता रहे हैं आपको महाकवि कालिदास के जीवन से जुडी  कुछ ऐसी बातों को जिनके बारे में सायद आप लोग नहीं जानते होंगे। तो चलिए फिर शुरू करते हैं तो पहले बात करते हैं कालिदास किस काल में पैदा हुए थे तो हमारे  पास इस बात का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है कि कालीदास प्राचीन भारत  के किस समय में पैदा हुए थे। विभिन्न  इतिहासकारों के इस बारे में अलग अलग मत हैं लेकिन दो मत  काफी लोकप्रिय हैं। पहला मत पहली सदी ईसा पूर्व का है जबकि दूसरा चौथी सदी  ईसा पूर्व का दोस्तों पहली सदी ईसा पूर्व यानी कि आज से  इक्कीस सौ साल पहले के मत के अनुसार कालीदास उज्जैन के विख्यात राजा  विक्रमादित्य के समकालीन थे और उनके राजदरबार में कभी के पद पर नियुक्त थे महाकवि कालिदास को महाराज विक्रमादित्य के नौ रत्नों में से एक थे और चौथी सदी इस्वी के मत के अनुसार कालिदास भारत का स्वर्ण युग कहे जाने वाले गुप्तकाल में गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय और उनके उत्तराधिकारी कुमारगुप्त के समकालीन थे। कई प्रमुख इतिहासकार इसी मत को ज्यादा महत्व देते हैं अब बात करते हैं दोसतो कालिदास के जन्म स्थान के बारे में।दोस्तों महाकवि कालिदास के जन्मकाल की तरह उनके जन्म स्थान के बारे में भी विवाद है। उन्होंने अपने खंडकाव्य  मेघदूत में मध्य प्रदेश के उज्जैन का काफी महत्ता से वर्णन किया है,जिसकी वजह से कई इतिहासकार उन्हें उज्जैन का निवासी मानते हैं। कुछ साहित्यकारों ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है। दोस्तों की कालिदास का जन्म कविल्ठा गांव में हुआ था, जो आज के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। कविल्ठा गांव में सरकार द्वारा कालिदास की एक प्रतिमा स्थापित की गई  है और एक सभागार का निर्माण भी करवाया गया है। इस सभागार में हर वर्ष जून के महीने में तीन दिनों का एक साप्ताहिक गोष्ठी का आयोजन होता है जिसमें भाग लेने देश के कोने कोने से विद्वान आते हैं और दोसतो अब बात करते हैं। कालिदास की जीवन की वह घटना की कैसे कालीदास पत्नी के धिक्कारने के कारण मुर्ख से विद्वान बने थे दोस्तों क्द्वान्तियो के अनुसार कालीदास दिखने में तो सुंदर थे लेकिन आरंभ से वो अनपढ और मुर्ख थे। उनका विवाह सहयोग से विद्योत्तमा नाम की राजकुमारी से हुआ था। हुआ यूं था दोस्तों की विद्युतमा ने यह तय कर रखा था कि जो पूरुष उसे  संशास्त्र में हरा देगा उससे विवाह कर लेगी। लेकिन बडे बडे विद्वान विद्योत्तमा को सशस्त्र में नहीं हरा सके। क्योंकि विद्योत्तमा चुप रहकर इसारों से गुड प्रश्न पूछते थे जिसका उत्तर इसारों में ही देना होता था।कोई विद्वान विद्योत्तमा के इन गुड प्रश्नों का उत्तर ना दे पाया तो कुछ दुखी विद्वानों ने थक हार के मुर्ख और अनपढ कालिदास को आगे कर दिया जिसने विद्योत्तमा के इसारे में पूछे गए सवालों के जवाब इसारों में ही देने शुरू कर

 

दिए। बस तो राजकुमारी विद्योत्तमा को लग रहा था कि कालिदास इसारों में उनके प्रश्नों के गुड उत्तर दे रहे हैं लेकिन उनकी सोच गलत थी। जैसे कि जब विद्योत्तमा ने कालिदास को खुला हाथ दिखाया तो मुर्ख कालिदास को लगा तो उसे थप्पड दिखा रही है तो उसने भी विद्योत्तमा को घुसा दिखा दिया। लेकिन विद्योत्तमा को लगा कि कालीदास शायद या कह रहे हैं कि पांचों इंद्रिया भले ही अलग हो लेकिन वो सभी एक ही मन द्वारा संचालित है। विद्योत्तमा और कालिदास का विवाह हो जाता है। विवाह के बाद विद्योत्तमा को सचाई पता चलती है कि कालीदास मुर्ख और अनपढ है। वो कालिदास  धीकारकर घर से बाहर निकाल देती है और कहती है कि बिना पंडित बने घर वापस मत आना।कालिदास को ग्लानि महसूस होती हैं और उस सच्चा पंडित बनने की ठान लेते हैं। वो काली माँ की सच्चे मन से अराधना करनी शुरू कर देते हैं और माँ के आशीर्वाद से परम ज्ञानी बन जाते हैं।घर लौटकर जब दरवाजा खटखटाकर अपनी पत्नी को आवाज लगाते हैं तो विद्योत्तमा आवाज नहीं पहचान जाती है कि कोई विद्वान व्यक्ति आया है। इस तरह से दोस्तों पत्नी के धिक्कारने पर एक मूर्ख और अनपढ महाकवि बन जाते हैं। कालीदास जीवन भर अपनी पत्नी को अपना पथप्रदर्शक गुरु मानते थे और दोस्तों अब बात करते हैं। कालिदास की रचनाओं के बारे में  जैसा की हमने आपको पहले ही बताया था कि सात ऐसी रचनाएं हैं,जिन्हें निर्विवाद रूप से कालीदास रचित माना जाता है। इन सात में से तीन नाटक है,जिनके नाम हैं अभिज्ञान शकुंतलम विक्रमवर सियम मलिका गिने मित्रम दो महाकाव्य है रघुवंशम और कुमारवंसम और दो खंडकाव्य हैं।मेघदूत और ऋतुसंहार,कालिदास  के प्रमुख साथ रचनाओं के सिवाय तेतीस रचनाएं और है दोस्तों जिनका श्रेय महाकवि कालिदास को ही दिया जाता है। लेकिन कई विद्वानों का मानना है दोस्तो यह रचनाएं अन्य कवियों ने कालीदास के नाम से ही की थी।कवी और नाटक कार्य के अलावा कालीदास ज्योतिस का विशेषज्ञ भी माना गया है।माना जाता है  ज्योतिस पर आधारित पुस्तक उत्तर कलाकृति कालीदास की ही रचना है। कालीदास कितने प्रतिभाशाली कवि थे,इस बात का पता इसी से लगता है कि उनके बाद हुए एक प्रसिद्ध कवि बाणभट्ट ने उनकी खूब प्रशंसा की है। यहाँ तक कि दक्षिण के सक्तिसली चालुक्य सम्राट पुलकेसिन द्वितीय ने छ सौ चौतीस इस्वी के एक सीला लेख में कालिदास को महान कवि का दर्जा दिया है। अपने समय के एक शक्ति साली राजा के सिला लेख  में एक कवि का वर्णन होना कोई छोटी बात नहीं है। यह शिलालेख कर्नाटक राज्य के बाजीपुर के एक प्राचीन स्थान होल में पाया गया था। दोस्तो, कालीदास अपनी रचनाओं में अलंकार युक्त, सरल और मधुर भाषा का प्रयोग किया करते थे।इसके सिवाय उनके द्वारा ऋतुओं का किया गया वर्णन बेमिशाल है संगीत कालीदास के साहित्य का प्रमुख अंग रहा है। लेकिन वो अपनी रचनाओं में आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों पर भी ध्यान रखते थे तो यह थी दोस्तों महाकवि कालीदास के जीवन से जुडी हुई कुछ अहम बाते।उम्मीद करते हैं  आप सभी को हमारे यह post पसंद आया होगा।


Post a Comment

please do not enter any spam link in the comment box