मोनालिसा का इतिहास
मोनालिसा के 23 रहस्य
विश्व सुंदरी मोनालिसा की फेमस पेंटिंग
पांच सौ साल पहले इटली के एक जीनियस लियोनार्दो दा विंची ने एकऐसी पेंटिंग बनाई थी जो आज भी एक मिस्ट्री बनी हुई है।
मोनालीसा आखिर ऐसे क्या राज छिपे हैं इस पेंटिंग में
जो इसे दुनिया की सबसे रहस्यमयी और सबसे फेमस पेंटिंग बनाते हैं।
इस post को आखिर तक जरूर पढना आप मोनालिसा के बारे में
तेईस ऐसी बातें जानो गे जो वाकई आपको हैरानी में डाल देंगे।
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mona lisa |
नंबर ट्वेंटी थ्री
जून अठारह सौ बावन को लुकमान स्पेरो नाम केएक यंग फ्रेंच आर्टिस्ट ने पैरिस के एक होटल की चौथी मंजिल से
कूदकर अपनी जान दे दी।
वो मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान के लिए पागल था।
उसकी सुंदरता पर मोहित था।
उसने एक सुसाइड नोट भी छोडा जिसमें उसने मोनालिसा के लिए अपने प्यार और सालों के इंतजार की बात की थी।
नंबर ट्वेंटी टू
जो बात आर्टिस्ट और हिस्टोरियन उसको सबसे ज्यादा सोचने पर मजबूर करती है वह है मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान जो अलग अलग एंगल से देखने पर अलग अलग दीखती है मतलब बदलती रहती है।
पहले ये तस्वीर मुस्कुराती हुई दिखाई देती है।
फिर ये मुस्कान फीकी पड जाती है और फिर गायब हो जाती है।
एक रिसर्च से पता चला है कि जिस औरत को दा विंची ने इस पेंटीग में बनाया है वह अपने अंदर कुछ राज छिपाए हुए हैं।
इसलिए मोनालिसा कि मुस्कान इतनी रहस्यमय है।
नंबर ट्वेंटी वन।
कुछ सालों पहले एक डॉक्टर ने ये कहकर सबको हैरानी में डाल दिया कि
मोनालिसा की मिस्टीरियस स्माइल का राज है उसके ऊपरी दो दांतों का टूटा होना और यही वजह है कि उसका ऊपरी होट थोडा दबा हुआ है।
सन दो हजार में हार्वर्ड के एक न्यूरोसाइंटिस्ट डॉक्टर मार्ग्रेट ने
बताया कि मोनालिसा कि मुस्कान नहीं बदलती बल्कि इंसान का माइंड
सेट बदलता है।
मतलब ये आपके दिमाग का खेल है।
जैसा आप मोनालिसा के चेहरे को देखना चाहते हो वैसा ही आपको दीखेगा। ये इस चीज पर डिपेंड करता है कि आप किस चीज पर फोकस कर रहे हो।
नंबर ट्वेंटी
लियानार्दो दा विन्ची ने मोनालिसा को पंद्रह सौ तीन मेंबनाना शुरू किया था और वह पंद्रह सौ सत्रह तक इसपर काम करते रहे।
उन को सबसे ज्यादा समय मोनालिसा के होठ बनाने में लगा था ।
मोनालिसा के होठ बनाने में दा विन्ची ने बारह साल लगा दिए थे
नंबर नाइनटीन
यह बात तो सच है कि मोनालिसा एक बेहद खूबसूरतपेंटिंग है और शुरू से ही काफी मशहूर है।
लेकिन इतनी मशहूर ये कभी नहीं थी जितनी की ये तब हुई जब इसे पैरिस के लू म्यूजियम से चुरा लिया गया।
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lu museum |
नंबर एटीन
दुनिया के सबसे मशहूर पेंटिंग को दुनिया के सबसे बडेमियुजिय्म से चुरा लिया जाना एक बडी हैरान कर देने वाली घटना थी।
लेकिन उससे भी ज्यादा हैरान कर देने वाली बात तो ये है कि इसके चोरी के इल्जाम में जिस आदमी को शक के घेरे में लिया गया वो थे हमारे एक और महान पेंटर पाब्लो पिकासो जी हाँ,
शुरुआत में पाब्लो पिकासो पर इसे चोरी करने का इल्जाम लगा,
लेकिन बाद में काफी पूछताछ और इन्वेस्टिगेशन के बाद उनसे ये आरोप हटा लिया गया।
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mona lisa penting |
नंबर सेवनटीन
वेल वो कोन इंसान था जिसमें मोनालिसा को चुराया था।1911 में 21 अगस्त के दिन इसे चुराया गया।
लेकिन उस दिन इस चोरी की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया और इसे अगले दिन नोटिस किया गया।
लू म्यूजियम को इन्वेस्टिगेशन के लिए एक हफ्ते के लिए बंद कर दिया गया।
इस कन्फ्यूजन की वजह से की शायद पेंटिंग को म्यूजियम में ही कहीं और रख दिया गया होगा।
बाद में पता चला कि मोनालिसा को लू म्यूजियम के ही एक वर्कर
विंसेंजो पुलूकीया ने चुराया था।
वो म्यूजियम के एक छोटे से कमरे में छिप गया।
मियुजिय्म के बंद होने के बाद वो पेंटिंग को कोट में छिपाकर फरार हो गया।
नंबर सिक्सटिन
विंसेंजो इटली का एक देशभक्त नागरिक थाउसका ये विश्वास था कि लियोनार्दो की ये पेंटिंग उनके देश में वापस आनी चाहिए और इसे इटली के म्यूजियम में दिखाया जाना चाहिए।
दो साल बाद विंसेंजो को तब पकड लिया गया जब वह मोनालिसा को लेकर इटली के फ्लोरेंस शहर के आर्ट म्यूजियम के डायरेक्टर को इसे बेचने जा रहा था। दो हफ्तों तक मोनालिसा को इटली के उसी म्यूजियम में रखने के बाद चार जनवरी उन्नीस सौ चौदह को वापस से पेरिस के म्यूजियम में लाया गया। विंसेंजो को उसके क्राइम के लिए छह महीने की जेल हुई लेकिन इटली ने उसकी देश भक्ति के लिए उसका स्वागत किया।
नंबर फिफ्टीन
मोनालिसा की एक जुडवा पेंडटीग भी मौजूद है जोबिल्कुल लियोनार्दो दा विंची की मोनालिसा जैसी ही दिखती है।
कहा जाता है कि दूसरी पेंटिंग को दा विंची के टाइम में ही उनके स्टूडेंट
फ्रांसिस्को मैम जी ने बनाया था।
ये दूसरी पेंटीग स्पेन की राजधानी मैड्रिड के पराधों म्यूजियम में रखी है।
नम्बर फोर्टीन
आज तक ये बात रहस्य है कि मोनालिसा कौनथी। मतलब दा विन्ची ने ये किसकी तस्वीर बनाई थी।
ये कोन औरत थी। ज्यादातर स्कॉलर्स का ये मानना है कि इस पेंटिंग में जो तस्वीर है वो लीसा घेरार्दिनी की है जो कि फ्लोरेंस की एक इटालियन औरत थी। लेकिन एक थ्योरी ये भी कहती है कि मोनालिसा लियोनार्दो दा विंची की खुद की तस्वीर है। मतलब उन्होंने इस पेंटिंग में खुद को एक औरत के रूप में बनाया था।
नंबर थर्टीन
इस खूबसूरत पेंटिंग को नुकसान पहुंचाने की कई कोशिशें होचुकी हैं।
1956 में एक बोलिवियन टूरिस्ट ने मोनालिसा पर एक पत्थर फेंका था
जिसकी वजह से मोनालिसा की बाएं हाथ की कोहनी के पास एक छोटा सा निशान आ गया था। बाद में इसे रिस्टोर कर दिया गया लेकिन निशान अब भी हल्का दिखता है। इससे पहले एक व्यक्ति ने इस पेंटिंग पर एसिड फेंका था। इसके बाद मोनालिसा की सिक्योरिटी को देखते हुए इसे बुलेटफ्रूफ ग्लास के अंदर रखा गया। लेकिन इसके बाद भी एक लेडी ने मोनालिसा पर रेड पेन से सप्रे करने की कोशिश की थी और दो हजार नो में एक रशियन लेडी ने इस की तरफ सिरामिक टेकअप फेंका पर पेंटिंग दोनों ही केस में सुरक्षित रहीं।
नम्बर ट्वेल
लियोनार्दो दा विन्ची एक राइटर भी थे।लेकिन हैरानी होती है कि उन्होंने अपनी सबसे फेमस पेंटिंग मोनालिसा के बारे में कहीं कुछ भी नहीं लिखा।
नंबर इलेवन
सेकंड वर्ल्ड वॉर के टाइम मोनालिसा को छह बार अपनी जगह से बदला गया ताकि ये बेस कीमती पेंटिंग जर्मन नाजियों के हाथों में ना चले जाएँ।नम्बर टेन
लियोनार्दो के ही एक स्टूडेंट ने पंद्रह सौ चौदह से पंद्रहसौ सोलह के बीच मोनालिसा का एक न्यू वर्जन भी बनाया था जिसे
मोना बेना कहा जाता है।
इसके हाथ और बोडी की पोजिशन बिल्कुल लियोनार्दो कि मोनालिसा जैसी ही है। कहा ये भी जाता है कि शायद इसे भी लियोनार्दो दा विंची ने ही बनाया हो। ये पेंटिंग पेरिस के कौनडे म्यूजियम में रखी है।
नंबर नाइन
लियोनार्दो ने मोनालिसा को पेंट करने में तीस से भीज्यादा लेयर्स का इस्तेमाल किया था और उनमें से कुछ लेअरस तो एक इंसानी बाल से भी बारीक थी।
नंबर एट मोनालिसा दुनिया की मोस्ट वैल्यूएबल पेंटीग है।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के अनुसार मोनालिसा हिस्ट्री की हाईएस्ट वैल्यूएशन वाली पेंटिंग है।
1962 में इसकी कीमत हंड्रेड मिलियन डॉलरस आंकी गई थी।
दो हजार उन्नीस में ये सेवन हंड्रेड मिलियन डॉलर्स के आस पास है
लेकिन फ्रेंच हेरिडेज ला के अकोर्डिंग इसे बेचा और खरीदा नहीं जा सकता क्योंकि ये पब्लिक के लिए है
नंबर सेवन
पंद्रह सौ उन्नीस में द विंची की मृत्यु के बाद मोनालिसा फ्रांस के राजाओं के प्राइवेट कलेक्शन का हिस्सा बन गई।फ्रेंच रेजिलेसुन के बाद मोनालिसा को पेरिस के लू म्यूजियम में रख दिया गया। ये पेंटिंग नेपोलियन को इतनी पसंद आई थी की कुछ समय के लिए उन्होंने इसे अपने बेडरूम में लगवा दिया था।
नंबर सिक्स
जितना आप को लगता है ये पेंटिंग उससे काफी छोटे साइज की है।इसका साइज थर्टी भाई ट्वेंटी वन इनचीज है और इसका वजन एट किलोग्राम है।दा विन्ची ने इसे पेपर और कैनवस पर नहीं बनाया था बल्कि पोपलर की लकडी के पैनल
पर ऑइल पेंट से बनाया था और इतनी खूबसूरती से बनाया था कि इस
पर ब्रश के निशान देखना बेहद मुश्किल है।
दा विंची के टाइम में कैनवस और पेपर मौजूद थे लेकिन उस वक्त के पेंटर ये सोचते थे कि छोटी पेंटिंग के लिए लकडी का यूज करना ही सही रहेगा।
नम्बर फाइव
जब आप इस पेंटिंग को देखते हो तो आप पाओगे किमोनालिसा की आईब्रोज और आईलैशेज नहीं दिखती।
अब सवाल उठता है कि लियोनार्दो दा विंची ने मोनालिसा की आइब्रोज और आईलैशेज क्यों नहीं बनाई?
वेल दो हजार सत्रह में एक फ्रंच इन्वेन्टर पासकल कोट ने हाई
रेजुलेस्न स्केन से ये पता लगाया कि दा विन्ची ने मोनालिसा की आइब्रोज और आईलैशेज बनाई थी।
उसने बताया कि ये टाइम के साथ धीरे धीरे गायब हो गई।
शायद ओवर क्लीनिंग की वजह से।
नंबर फोर
पैरानॉर्मल क्रूसिबल नाम की एक वेब साइट ने ये दावा किया थाकि मोनालिसा की पेंटिंग में एलियन छिपा है।
कहा गया कि अगर इस पेंटिंग को लेफ्ट साइड से मिरर के साथ जोडकर देखा जाए तो एलियन जैसी आकृति बनती है।
ये बात तब सोचने पर मजबूर करती है जब एक ओर थ्योरी सामने आती हैं। जिसमें ये कहा गया कि दा विन्ची ने इस पेंटिंग के लेफ्ट साइड में बडे ही सीक्रेट तरीके से एक मैसेज छिपाया है। थ्योरी बताती है कि पेंटीग में इटालियन भाषा में लिखा गया है ला रिसपोस्त सी तरोवा की (la risposta si trova qui ) इसका मतलब है the answer is here यानी उत्तर यहाँ है।
हालांकि इस थ्योरी में कितनी सच्चाई है इसकी कोई पुष्टि नहीं की जा सकी और ना ही मैं इसके सच होने का कोई दावा करता हूँ।
नंबर थ्री
मोनालिसा के फैन दुनिया भर में हैं।इस पेंटिंग पर बहुत सी पोइम भी लिखी जा चुकी हैं और सोंग्स बन चुके हैं।
जब से इसे पैरिस के लू म्यूजियम में रखा गया है तब से इसे वहाँ लव लेटर्स मिलते हैं। चाहने वालों की तरफ से फ्लावर्स मिलते हैं।
नंबर टू
मोनालिसा को इंग्लिश में Mona Lisa लिखा जाता है।लेकिन इस की सही स्पेलिंग ये Monna Lisa है कोई इसे मोनालिसा कहता है तो कोई मोनालिजा कहता है लेकिन इटालियन में इसकी करेक्ट वर्जन
है मोना लीजा है इसका मतलब होता है माई लेडी
नंबर वन
दोस्तों अगर आप पेरिस के लू म्यूजियम में जाते हो तो मोनालिसा के रूम में जाने के बाद जहाँ मोनालिसा रखी है उसके बिल्कुल ओपोजिटडायरेक्शन में आपको एक बहुत बडी पेंटिंग मिलेगी जो कि मोनालिसा से कई गुना बडी है। इसका नाम है दा वेडिंग फीस्ट एट केना
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the wedding feast at cana |
इसे इटली के ही एक पेंटर पाउलो वेरोनेसे ने पंद्रह सौ त्रेस्ट में बनाया था।
दोस्तो ये पेंटिंग इतनी खूबसूरत है कि इसकी तारीफ के लिए शब्द कम पड जाएंगे।
लेकिन क्योंकि ये पेंटिंग इतनी फेमस नहीं है इसलिए लोग इसे देखने में ज्यादा इंट्रेस्टेड नहीं है।
यही वजह है कि मोनालिसा के सामने तो आपको बहुत भीड नजर आएगी लेकिन इसे
देखने के लिए बहुत कम लोग खडे मिलेंगे।
दोस्तों अगर हम सच्चे आर्ट लवर हैं तो हमारे पास वो आँखे होनी चाहिए जो एक आर्टिस्ट की कला को परख सकें।
जस्ट किसी एक ही चीज को सिर्फ इसलिए वैल्यू देना कि वह बहुत फेमस है या उसको बनाने वाला कोई बडा इंसान था और दूसरे के काम को सिर्फ इसलिए भूल जाना
क्योंकि वह ज्यादा फेमस नहीं है या उसे बनाने वाला कोई महान इन्सान नहीं था।
ये तो सही नहीं है ना देखो मैं ये नहीं कह रहा कि मोनालिसा बहुत अच्छी
पेंटीग नहीं है और उससे भी अच्छी अच्छी पेंटिंग मौजूद हैं।
नहीं बेशक मोनालिसा दुनिया की सबसे खूबसूरत आर्ट वर्ग में से एक
है लेकिन साथ साथ हमें दूसरे के काम को भी तो सुनाना चाहिए ना।
हो सकता है कि उसकी बनाई गई चीज भी उतनी ही अच्छी हो।
हो सकता है उस आर्टिस्ट ने भी बहुत मेहनत की हो और हम उस की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहे।
में आखिर में एक और बात बताना चाहता हूँ जिससे मुझे उम्मीद है की आप मेरी बात को पकड पाएंगे।
पेरिस का ये लू म्यूजियम दुनिया का सबसे बडा आर्ट म्यूजियम है।
इसमें पैंतीस हजार हिस्टोरिकल ओब्जेक्ट्स रखे हैं लेकिन ज्यादातर लोग
सिर्फ मोनालिसा को देखने आते हैं और उसके सामने सेल्फी लेकर चले जाते हैं।
तो इस post के लिए इतना ही |
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