राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रमुख क्रान्तिकारियों के नाम, Rajasthan gk most importaint question for all exams 2021

प्रश्न 1. राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रमुख क्रान्तिकारियों के नाम बताओ। 

उत्तर-    राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रमुख क्रान्तिकारी - भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के प्रमुख क्रांतिकारियों के नाम हैं-भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चन्द्रशेखर आजाद, चापेकर बन्धु, अश्फाक उल्लाह खान, राम प्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र लाहड़ी,  खुशीराम बोस, प्रफुल्ल चन्द्र, वासुदेव बलवन्त फड़के, वीर सावरकर, सुभाष चन्द्र बोस, लाला लाजपतराय, विपिन चन्द्र पाल, बालगंगाधर तिलक तथा अरविन्द घोष। 

 प्रश्न 2. राजस्थान में 1857 ई. की क्रान्ति के प्रसार का उल्लेख कीजिये।

 उत्तर-   राजस्थान में 1857 ई. की क्रान्ति का प्रसार-  

(1) आऊवा में क्रान्तिआऊवा का सामन्त ठाकुर खुशाल सिंह अंग्रेजों का प्रबल विरोधी था। उन्होंने अपने अंग्रेज-विरोधी संघर्ष में जोधपुर-राज्य की सेना एवं अंग्रेजी सेना को बुरी तरह से परास्त किया। आऊवा के ठाकुर खुशाल सिंह को मेवाड़ के सामन्तों का भी जन समर्थन प्राप्त था। 

(2) नसीराबाद में क्रान्ति-  28 मई, 1857 को नसीराबाद में सैनिकों ने तोपखाने पर अधिकार कर लिया। उन्होंने खजाना लूट लिया। अंग्रेज अधिकारी प्राण बचाकर वहाँ से भाग निकले। यहाँ से सैनिक दिल्ली की ओर चले गए। 
(3) नीमच में क्रान्ति-  नसीराबाद क्रान्ति के समाचार नीमच पहुँचे। नीमच में सैनिकों ने शस्त्रागार लूट लिया। अंग्रेज अधिकारी उदयपुर की ओर भाग गए। मेवाड़ के महाराणा ने उन्हें महलों में शरण दी।  

(4) कोटा में क्रान्ति-  कोटा की जनता में भी अंग्रेज-विरोधी भावना व्याप्त थी। कोटा के क्रान्तिकारियों ने मेजर बर्टन तथा उसके दो पुत्रों को मौत के घाट उतार दिया। यहाँ क्रान्तिकारियों ने जनता का साथ दिया। कोटा के महाराव को महल में कैद कर लिया। 6 माह तक कोटा में क्रान्तिकारियों का कब्जा बना रहा।  

(5) तात्या टोपे का योगदान-  तात्या टोपे ने झालावाड़ में प्रवेश कर झालावाड़ पर अधिकार कर लिया। यहाँ के शस्त्र भण्डार पर क्रान्तिकारियों ने अधिकार कर लिया। सलूम्बर के रावत केसरीसिंह तथा कोठारिया के सामन्त जोध सिंह ने तात्या टोपे को पूरी सहायता दी। 

प्रश्न 3. कालीबाई के बलिदान के बारे में आप क्या जानते हैं ? 

उत्तर-   कालीबाई का बलिदान-  कालीबाई भील डूंगरपुर जिले में रास्तापाल की रहने वाली एक किशोर बालिका थी। डूंगरपुर राज्य में आदिवासी व दलितों के लिए विद्यालयों के संचालन की मनाही थी। जब एक अध्यापक सेंगाभाई भील ने नानाभाई खांट की मृत्यु के बाद उसके घर में संचालित ऐसे ही एक विद्यालय में अध्यापन जारी रखा, तो पुलिस ने सेंगाभाई भील को अपने ट्रक के पीछे बाँध दिया और इसी अवस्था में उसे घसीटते हुए सड़क पर ले आई। विद्यालय की किशोर बालिका कालीबाई पुलिस के मना करने के बाद भी ट्रक के पीछे-पीछे दौड़ी और उस ट्रक से रस्सी को काटकर अपने अध्यापक को पुलिस के आतंक से मुक्त कराया। इससे पुलिस अत्यधिक क्रोधित हो गई और उसने कालीबाई की पीठ पर गोली दाग दी। कालीबाई गिर कर अचेत हो गई। उसे डूंगरपुर के चिकित्सालय में ले जाया गया जहाँ उसकी मृत्यु हो गई।  अब रास्तापाल में 13 वर्षीय कालीबाई की प्रतिमा स्थापित है। उसकी शहादत की स्मृति में अब यहाँ पर प्रतिवर्ष शहादत के दिन मेला लगाया जाता है और लोग इस अमर शहीद बालिका को श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।  

प्रश्न 4. लोकदेवता पाबूजी का महत्त्व बताइये।

उत्तर-  लोकदेवता पाबूजी का महत्त्व- पाबूजी का जन्म 1239 ई. में हुआ था। ये मारवाड़ के धांधलजी राठौड़ के छोटे पुत्र थे। पाबू ने देवल नामक एक चारणदेवी को बहन बना रखा था। देवल के पास एक बहुत सुन्दर और सर्वगुण-सम्पन्न घोड़ी थी, जिसका नाम 'केसर कालवी' था। देवल अपनी गायों की रखवाली इस घोड़ी से करती थी। परन्तु जायल (नागौर) का शासक जिंदराव खींची इस घोड़ी को प्राप्त करना चाहता था। जब पाबूजी विवाह के लिए अमरकोट गए थे तब वे देवल से मांगकर यह घोड़ी अपने साथ ले गये थे। साथ ही यह वचन दे गए थे कि यदि आवश्यकता पड़ी तो अपना कार्य बीच में ही छोड़कर आ जाऊंगा। पाबूजी जब फेरे ले रहे थे, तब जिंदराव देवलदेवी की गायों को लेकर भाग गया। जैसे ही पाबूजी को यह समाचार मिला, उन्होंने अपने साथियों को लेकर जिंदराव खींची का पीछा किया। दोनों पक्षों में भीषण युद्ध हुआ जिसमें पाबूजी वीरगति को प्राप्त हुए लेकिन गायों को छुड़ा लिया। इस प्रकार पाबूजी ने अपने प्राण देकर भी अपने वचन का पालन किया। पाबूजी की लोकदेवता के रूप में पूजा की जाती है।


प्रश्न 5. कोई चार नीति निदेशक तत्त्व बताइये। 

उत्तर- चार प्रमुख नीति निदेशक तत्त्व निम्नलिखित हैं- 

(1) राज्य भारत के समस्त राज्य क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता की स्थापना करने का प्रयास करेगा।  

(2) राज्य राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति को बढ़ावा देगा।  

(3) राज्य द्वारा पुरातात्विक महत्त्व की इमारतों, स्मारकों आदि की रक्षा की जायेगी।  

(4) चौदह वर्ष तक के बालकों के निःशुल्क अनिवार्य शिक्षा पाने के अधिकार को राज्य सुनिश्चित करेगा।  

प्रश्न 6. किन्हीं चार मौलिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।

उत्तर-  चार प्रमुख मौलिक अधिकार निम्नलिखित हैं-  

(1) शोषण के विरुद्ध अधिकार इसके अनुसार मानव के दुर्व्यापार, बेगार प्रथा और जबरन श्रम पर रोक लगाई गई है तथा 14 वर्ष से कम आयु के लड़के-लड़कियों को किसी कारखाने, खान या अन्य खतरनाक कार्यों में लगाने पर रोक लगाकर बाल श्रम का अन्त कर दिया गया है।  

(2) धर्म की स्वतन्त्रता का अधिकार-   धर्म की स्वतन्त्रता के मौलिक अधिकार के अन्तर्गत सभी व्यक्तियों को धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार दिया गया है। इसके साथ ही धार्मिक कार्यों के प्रबन्धन के लिए धार्मिक संस्थाओं की स्थापना का भी अधिकार दिया गया है तथा सरकारी सहायता से पोषित किसी भी शिक्षा संस्था में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती।  

(3) संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार-  इसके अनुसार नागरिकों के प्रत्येक वर्ग को अपनी भाषा, लिपि या संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार होगा। साथ ही धर्म और भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और संचालन का अधिकार होगा।  

(4) संवैधानिक उपचारों का अधिकार-   इसके अन्तर्गत हर नागरिक को यह अधिकार है कि वह मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय में जा सकता है और न्यायालय मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए पाँच तरह की रिट जारी कर सकता है।


प्रश्न 7. राजस्थान की भौगोलिक स्थिति का संक्षेप में वर्णन कीजिए।  

उत्तर-   राजस्थान भौगोलिक विभिन्नताओं वाला राज्य है। यह भारत के उत्तर- पश्चिम में पतंगाकार रूप में 23°3' से 30°12' उत्तरी अक्षांशों तथा 69°30' से 78°17' पूर्वी देशान्तरों के मध्य स्थित है। राजस्थान की पूर्व से पश्चिम तक अधिकतम लम्बाई 869 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण तक अधिकतम चौड़ाई 826 किलोमीटर है। राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है, इसका कुल क्षेत्रफल 342239 वर्ग किलोमीटर है जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.43 प्रतिशत है।  


प्रश्न 8. राजस्थान के अरावली प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।  

उत्तर-  अरावली प्रदेश दिल्ली से गुजरात के पालनपुर कस्बे में खेड़ ब्रह्मा तक 692 किलोमीटर लम्बाई में विस्तृत है। अरावली को आड़ावाला पहाड़ भी कहा जाता है। यह विश्व की प्राचीनतम पर्वत श्रेणियों में से है। इसकी ऊँचाई दक्षिण- पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर कम होती जाती है। इस प्रदेश की सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर (1722 मीटर) सिरोही जिले में माउन्ट आबू के पास है। इसे उत्तर-पूर्वी पहाड़ी, मध्य अरावली, मेवाड़ की पहाड़ियाँ या भोराट पठार तथा आबू पर्वत उप- विभागों में बांटा गया है।



प्रश्न 9. राजस्थान की मीठे पानी की झीलों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।  

उत्तर-  राजस्थान की मीठे पानी की प्रमुख झीलें-                जयसमंद, राजसमंद, पिछोला, आनासागर, पुष्कर, सिलीसेढ़, उदयसागर, फतेहसागर, जनासागर, नक्की, कायलाना आदि हैं। जयसमंद राजस्थान की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है जो उदयपुर के पास है। राजसमंद झील कांकरोली के पास है जिसके दक्षिणी भाग पर नौ चौकियों पर 25 शिलालेखों पर मेवाड़ का इतिहास लिखा हुआ है। पिछोला झील उदयपुर में है। पृथ्वीराज चौहान के दादा अन्नाजी द्वारा बनवाई आना सागर झील अजमेर में है। सीलीसेढ़ झील अलवर जिले में है जिसमें मछली पालन किया जाता है। कोलायत झील बीकानेर में है। यहाँ प्राचीन काल में कपिल मुनि का आश्रम था। जनासागर झील उदयपुर के पास बड़ी में स्थित है। 

प्रश्न 10. पर्यावरण चेतना के बारे में लिखी बातों को बताइये।  

उत्तर- भारत में पर्यावरण के प्रति वैदिक काल से ही जागरूकता रही है। विभिन्न पौराणिक ग्रन्थों में पर्यावरण के विभिन्न कारकों का महत्त्व व उनको आदर देते हुए संरक्षण की बात कही गई है। भारतीय ऋषियों ने सम्पूर्ण प्राकृतिक शक्तियों को ही देवता स्वरूप माना है। सूर्य, जल, वनस्पति, वायु व आकाश को शरीर का आधार बताया गया है। अथर्ववेद का भूमिसूक्त' पर्यावरण चेतना का प्रथम लिखित दस्तावेज है। ऋग्वेद में जल की शुद्धता, यजुर्वेद में सभी प्राकृतिक तत्त्वों को देवताओं के समान आदर देने की बात कही गई है। वैदिक उपासना के शान्ति पाठ में भी अन्तरिक्ष, पृथ्वी, जल, वनस्पति, आकाश आदि सभी में शान्ति एवं श्रेष्ठता की प्रार्थना की गई है। वेदों में भी एक वृक्ष लगाने का पुण्य सौ पुत्रों के पालन के समान माना गया है। विष्णु धर्मसूत्र, स्कन्द पुराण तथा याज्ञवल्क्य स्मृति में वृक्षों को काटना अपराध तथा उसके लिए दण्ड का विधान बताया गया है।



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