लखनऊ समझौता, lakhnau samjhota 1916

 लखनऊ समझौता (1916)

1916 ई. में कांग्रेस व मुस्लिम लीग के लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस व मुस्लिम लीग के मध्य एकता स्थापित करने वाला समझौता हुआ, जिसमें कांग्रेस की तरफ से बाल गंगाधर तिलक व एनी बेसेन्ट तथा लीग की तरफ से मोहम्मद अली जिन्ना ने विशेष प्रयास किया तथा इस समझौते में मुस्लिम लीग ने स्वशासन की कांग्रेसी मांग का समर्थन किया था और कांग्रेस ने लीग की साम्प्रदायिक निर्वाचन प्रणाली की मांग स्वीकार कर ली, तो वहीं लखनऊ समझौते ने मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्रों की मांग स्वीकार कर भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिकता के बीज बो दिये।

ध्यातव्य रहे- कांग्रेस के इस अधिवेशन के अध्यक्ष ए.सी. मजूमदार थे। मई, 1917 ई. में मेसोपोटामिया आयोग की रिपोर्ट प्रकाशित हुई जिसमें भारत सरकार के कार्यों की आलोचना की गई तथा प्रथम विश्वयुद्ध में हुई भारतीय सेना की पराजय के लिए भारत सचिव चैम्बरलिन के नियन्त्रण वाली भारत सरकार को जिम्मेदार माना गया। अतः चैम्बरलिन को इस्तीफा देना पड़ा और उनकी जगह मांटेग्यू को भारत सचिव नियुक्त किया गया।

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