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खिलजी वंश/साम्राज्य 

(1290-1320 ई.)-

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खिलजी वंश

का प्रथम शासक जलालुद्दीन फिरोज खिलजी
(1290 ई.-1296 ई.) था जो 70 वर्ष का था।
इसके भतीजे और दामाद अलाउद्दीन ने 
इलाहाबाद में उसका 1296 ई. में धोखे से हत्या
करवा दी और स्वयं सुल्तान बन बैठा। अपने
20 वर्षों के शासन में कुछ अपने सुधारों को
लेकर अलाउद्दीन की चर्चा होती है। उसने
सिक्कों पर अपना उल्लेख 'द्वितीय सिकंदर
' के रूप में करवाया। उसके शासन में कश्मीर
व बंगाल शामिल नहीं थे। गुजरात के
बघेला राजपूत राजा राय कर्णदेव के खिलाफ
सैन्य अभियान किया। अलाउद्दीन ने 1301 ई. में
रणथम्भौर और 1303 ई. में चित्तौड़ पर
आक्रमण कर लूटा। गुजरात अभियान के
दौरान उसे अपार धन सम्पदा प्राप्त हुई साथ ही
एक हिन्दु से धर्मान्तरित मुस्लिम सेनानायक
मलिक काफूर का साथ मिला। इस मलिक
काफूर की सहायता से ही अलाउद्दीन खिलजी
दक्षिण भारत में प्रवेश कर सका। मलिक काफूर
ने देवगिरि, होयसल राज्य एवं पांड्य राज्य पर
आक्रमण किये। अमीर खुसरों के
रामेश्वरम् तक पहुँचा। अलाउद्दीन के समय म
राजस्व का ढांचा पुनः निर्मित किया गया।
विद्रोहों पर नियंत्रण के लिये उसने चार
आदेश जारी किए -अमीर वर्ग की सम्पत्ति
जब्त करना एवं खालसा भूमि को कृषि योग्य
बनाकर राजस्व में वृद्धि करना, दिल्ली में मद्य
निषेध, गुप्तचर प्रणाली का गठन, अमीरों के
परस्पर मेल-मिलाप रोक लगाना। उसने
खलीफा की सत्ता को मान्यता देते हुए स्वयं ने 
'यस्मिन-उल -खिलाफत-नासिरी-
अमीर-उल-मुमिनिन' की उपाधि धारण की।
'खजाइनुल फुतूह' में अमीर खुसरो ने
अलाउद्दीन को 'विश्व का सुल्तान' और
'जनता का चरवाहा
जैसी पदवियों से विभूषित किया है। सुल्तान
न पुलिस, गुप्तचर,
डाक पद्धति एवं प्रान्तीय प्रशासन में कई
सुधार किये। सबसे
महत्वपूर्ण सुधार बाजार नियंत्रण था।
 दीवान-ए-रियासत (व्यापार
का नियंत्रक), शाहना या दण्डाधिकारी
 (बाजार का दरोगा) मुहतसिब
(जनसाधारण का रक्षक एवं नाप-तौल का निरीक्षण
का), बरीद-ए-मुमालिक (गुप्तचर अधिकारी)
आदि नये पद सृजित कर प्रशासन को ठीक किया।
उसने अपनी एक विशाल सेना के रख-रखाव हेतु
आर्थिक सुधार किए। मोलभाव सुनिश्चित करके
सुल्तान कालाबाजारी और मुनाफाखोरी पर रोक
लगा दी। सराए-ए-अदल स्थानीय एवं विदेशी
वस्तुओं का बाजार था, अलाउद्दीन पहला
शासक था जिसने सैनिकों को नकद वेतन दिया।
1303 ई. में अलाउद्दीन ने अलाई किला अथवा
कोश ए सीरी (कुश्के सीरी) बनवाया, जिसमें सात
द्वार थे। 1316 ई. बाद उसका पुत्र कुबुबुद्दीन मुबारक
खिलजी शासक बना। उसने अपने पिता के सभी कठोर
आदेशों को रद्द कर दिया और स्वयं को खलीफा घोषित
'उल-वासिक-बिल्लाह' की उपाधि धारण की। इसकी
हत्या बाद खुसरव शाह सुल्तान बना जो खिलजी वंश
 का अंतिम शासक था।


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